महत्त्वपूर्ण तथ्य ( Facts that Matter )
• मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल के अंतिम वर्षों में उत्पन्न होने वाली अराजकता एवं अव्यवस्था के परिणामस्वरूप 14 वीं शताब्दी के चौथे पाँचवें दशक में महत्वपूर्ण राज्य विजयनगर का उदय हुआ ।
• विजयनगर यानी ' विजय का शहर ' । यह नाम एक साम्राज्य तथा एक शहर दोनों के लिए प्रयुक्त होता था । विजयनगर साम्राज्य को स्थापना 1336 ई ० में हरिहर तथा बुक्का राय नामक दो भाइयों ने की थी ।
• विजयनगर अपने चरमोत्कर्ष पर यह उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ था ।
• विजयनगर साम्राज्य पर 1565 ई ० में आक्रमण हुआ और इसे लूटा गया । परिणामस्वरूप यह उजड़ गया । हालाँकि सत्रहवीं - अठारहवीं शताब्दी तक यह पूर्णतया समाप्तप्राय हो गया । फिर भी कृष्णा तुंगभद्रा दोआब के क्षेत्रवासियों की यादों में ' हंपी ' के नाम से जीवित रहा । ' हंपी ' शब्द का प्रादुर्भाव यहाँ की स्थानीय मातृदेवी पंपादेवों के नाम से हुआ था ।
• 1800 ई ० में एक अभियंता एवं पुराविद् कर्नल कॉलिन मैकेन्जी द्वारा हम्पी के भग्नावशेषों की तरफ ध्यान आकृष्ट किया गया । उस समय मैकेन्जी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में नियुक्त थे ।
• मैकेन्जी द्वारा प्राप्त प्रारंभिक जानकारियाँ विरूपाक्ष मंदिर और पंपादेवी के मंदिर के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थी ।
• हम्पी की खोज में अभिलेखकर्ताओं ने भी अपनी अहम् भूमिका निभाई । इन्होंने 1836 ई ० से ही यहाँ और हम्पी के अन्य मंदिरों से दर्जनों अभिलेखों का संग्रह करना शुरू कर दिया ।
• चौदहवीं से लेकर 16 वीं शताब्दी के दौरान युद्धकला कुशल अश्वसेना पर आश्रित होती थी । अतः युद्धरत राज्यों हेतु अरब तथा मध्य एशिया से उत्तम घोड़ों का आयात बहुत ही महत्वपूर्ण था । शुरू से इस व्यापार पर अरब के व्यापारी वर्ग का नियंत्रण था । हालांकि स्थानीय व्यापारी , जिन्हें कुदिरई चेट्टी अथवा घोड़ों के व्यापारी कहा जाता था . भी इस व्यापार में भाग लेते थे
• 1498 ई ० से व्यापार के क्षेत्र में पुर्तगालियों का हस्तक्षेप आरंभ हुआ । ये सर्वप्रथम उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर आए और व्यापारिक तथा सामाजिक केंद्र स्थापित करने का प्रयास करने लगे ।
• विजयनगर या विजयनगर की तरह अन्य शहरों के लिए व्यापार एक प्रतिष्ठा का मानक माना जाता था । यहाँ की समृद्ध जनता महँगी विदेशी वस्तुओं की माँग करती थी । विशेष रूप से रत्नों और आभूषणों की व्यापार से राजस्व को भी लाभ होता था । विजयनगर भी मसालों , वस्त्रों तथा रत्नों के अपने बाजारों के लिए प्रसिद्ध था
• विजयनगर में सर्वप्रथम संगम वंश स्थापित हुआ । इस वंश ने 1485 ई ० तक शासन किया । हालांकि इन्हें सुलवों ने उखाड़ फेंका और स्वयं 1503 ई ० तक सत्ता में रहे । तत्पश्चात् तुलुवों ने उनका स्थान लिया तुलुव वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा कृष्णदेव राय था ।
- कृष्णदेव राय की शासन व्यवस्था की मुख्य विशेषता विस्तार और सुदृढीकरण था । इन्होंने 1512 ई ० में तुगभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच का क्षेत्र हासिल किया . 1514 ई ० में उड़ीसा के शासकों का दमन तथा 1520 ई ० में बीजापुर के शासकों को बुरी तरह से परास्त किया ।
● भारतीय मंदिरों में भव्य ' गोपुरमों ' को जोड़ने का श्रेय कृष्णदेव को ही जाता है । इन्होंने अपनी माँ के नाम पर विजयनगर के निकटस्थ ' नगलपुरम् ' नामक उपनगर की भी स्थापना की ।
- कृष्णदेव के मरणोपरांत 1529 ई ० में राजकीय व्यवस्था चरमराने लगी । उत्तराधिकारियों के विद्रोह तथा सेनानायकों की अनवरत चुनौती के परिणामस्वरूप सत्ता अराविद के हाथों में चला गया । जो सत्रहवीं शताब्दी तक काबिज रहे ।