Class 12 Hindi दिन जल्दी - जल्दी ढलता है एक गीत ( हरिवंश राय बच्चन )- भावार्थ

 

काव्यांश 1

हो ................................. ढलता है । 

भावार्थ : कवि कहता है कि दिन जल्दी - जल्दी अर्थात् शीघ्रता से ढल रहा है । इस कारण यह सोचकर कि रास्ते में कहीं रात न हो जाए , दिनभर का थका हुआ यात्री भी अपनी मंजिल अर्थात् लक्ष्य या उद्देश्य तक शीघ्र पहुँचने हेतु जल्दी - जल्दी चलता है लक्ष्य अर्थात् अपने रैनबसेरे या प्रिय तक शीघ्र पहुँचने की आतुरता के कारण उसे दिन जल्दी - जल्दी ढलता अर्थात् समय शीघ्रता से बीतता हुआ प्रतीत होता है । कवि बार - बार दुहराता है कि दिन शीघ्रता से ढल रहा है । 


काव्यांश 2 

बच्चे ............................ढलता है ! 

भावार्थ : कवि कहता है कि दिन को शीघ्रता से ढलता देखकर और यह ध्यान करके कि बच्चे दाना पाने और अपनी माँ के शीघ्र लौट आने की आस लिए घोंसलों ( नीड़ों ) से झाँक रहे होंगे , चिड़ियों के पर और अधिक चंचल हो उठते हैं अर्थात् वे और तेज़ी से अपने घोंसलों की ओर उड़ने लगती हैं । कवि पुनः कहता है कि समय जल्दी - जल्दी बीत रहा है । बीतते समय के साथ शीघ्रता से उड़ कर अपने घोंसलों की ओर वापस लौटती चिड़ियों के परों की चंचल गति से कवि अत्यंत प्रभावित है । 


काव्यांश 3

मुझसे ..............................ढलता है ! 


भावार्थ : कवि कहता है कि दिन जल्दी - जल्दी ढल रहा है , लेकिन उससे मिलने के लिए न कोई व्याकुल है और न ही उत्कंठित है । इसलिए वह किसके लिए शीघ्रता करे ? कवि के अनुसार , यह भाव उसके पैरों की गति को और शिथिल कर देता है तथा उसके हृदय में व्याकुलता और विह्वलता की भावना को बढ़ाता है । वास्तव में , कवि अपने प्रियतम का संसर्ग चाहता है । वह पुनः दुहराता है कि दिन अर्थात् समय शीघ्रता से व्यतीत होता जा रहा है , ऐसे में उसमें भी अपनी मंजिल , अपने लक्ष्य तक पहुँचने की आतुरता रहनी चाहिए ।


हो जाए न पथ में रात कहीं 
जल्दी जल्दी चलता है ।
 मंज़िल भी तो है दूर नहीं - 
दिन जल्दी - जल्दी ढलता है । 
यह सोच थका दिन का पंथी भी 

( क ) प्रस्तुत काव्यांश के कवि और कविता का क्या नाम है ?

 ( i ) कुँवर नारायण - कविता के बहाने 

( ii ) तुलसीदास - कवितावली 

( iii ) हरिवंशराय बच्चन - दिन जल्दी - जल्दी ढलता है । 

( iv ) रघुवीर सहाय सहर्ष स्वीकारा है । 


( ख ) कवि के मन में किस चीज की आशंका है ?

( i ) घर पहुँच पाने की 

( ii ) घर न पहुँच पाने की 

( iii) घर पहुँचने से पहले ही रात हो जाने की

( iv ) यात्रा बिना रुकावट पूरी हो जाने की 


( ग ) कवि किस आशा से प्रेरित हो उठता है ?

( i ) मंजिल पास ही आने वाली है । 

( ii ) कोई उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा है 

( iii ) मंजिल तक पहुँचने में बहुत समय शेष है 

( iv ) मंजिल तक पहुँचकर वह कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाएगा 


( घ ) थका हुआ पथिक किसे पाने चलता है ? 

( i ) अपने साथी को 

( ii ) अपने लक्ष्य को के कारण जल्दी - जल्दी 

( iii ) अपने भोजन को 

( iv ) अपने स्वार्थ को 


 ङ ) लक्ष्य को पाने की व्यग्रता के कारण कवि को कैसा प्रतीत होता है ? 

( i ) दिन ढल ही नहीं रहा है 

( ii ) दिन जल्दी - जल्दी ढल रहा है 

( iii ) दिन के बाद रात न जाने कब आएगी 

( iv ) उपरोक्त सभी